निरमेश त्यागी
चौपाल पर बैठे ताऊ आज बहुत ही चिंतित और निराश नजर आ रहे थे। चौपाल पर आज निराशाजनक माहौल और संख्या काफी कम थी। इस पर ताऊ ने पूछा क्या आज चौपाल नहीं सजेगी। इसका जवाब देते हुए वहां मौजूद चाचा उस्मानी ने बताया कि गांव की काफी लोग शहर में फंसे हुए हैं। इस पर ताऊ ने चिंता जताते हुए कहा अब सभी अपने-अपने घर कैसे लौटेंगे, उन्होंने कहा कि पूरे देश में लॉक डाउन हो चुका है। सभी साधन बंद हो चुके हैं नरेल चल रही है ना ही बस।
ताऊ बोले प्रधानमंत्री ने अपने देश के संबोधन में कहा है की जो जहां है वही रहे और सरकार हर संभव मदद प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाने का प्रयास करेगी मगर क्या यह संभव है क्योंकि कथनी और करनी में काफी अंतर होता है। ताऊ ने कहा आज देश के हालात काफी खराब है इसीलिए सभी को अपने-अपने घर मैं पहुंचना चाहिए और इसके बाद सब कुछ भूल कर 14 अप्रैल तक स्वयं को घर में बंद कर लेना चाहिए। ऐसा करने से कोरोना की कमर टूट सकती है और क्रम टूट में सही देश में फैल रही महामारी रुक सकती है। ऐसा प्रधानमंत्री जी का मानना है उन्होंने बताया हिंदुस्तान से पहले जिन देशों में कोरोना आया था वहां शासकों ने अंत में यही निर्णय लिया की पूरे देश को लॉक डाउन कर दिया जाए। आवश्यक कार्यों के लिए अगर घर से बाहर निकलना भी है तो स्वयं को कवर करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग रखना अति आवश्यक है।
इसी दौरान चौपाल पर लगा टीवी लाइट आने के कारण चालू हो गया और न्यूज़ चैनल नहीं पूरे देश की कोरोना से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराना शुरू किया। टीवी पर पहली ही न्यूज़ थी के प्रत्येक प्रदेश के बॉर्डर पर पलायन कर रहे लोगों की भीड़ हजारों हजारों से मौजूद है। इस तरह की भीड़ ने तो प्रधानमंत्री जी की योजना को पलीता ही लगा दिया। क्या इस तरह से पलायन कर रहे हैं मजदूरों को मुसीबत का सामना करना ही होगा वही कोरोना के फैलने का खतरा सबसे अधिक है क्योंकि टीवी पर चल रही न्यूज़ के अनुसार सोशल डिस्टेंस तो पूरी तरह खत्म ही हो गई। प्रधानमंत्री जी जो चाह रहे थे मजदूरों की पलायन योजना ने पूरी तरह से पानी फेर दिया मगर मजदूर भी क्या कर सकते हैं उनके समक्ष दो ही रास्ते हैं की वह जिस शहर में ही मौजूद है वहीं भूख रहकर दम तोड़ दे या फिर किसी भी तरह दिल्ली मुंबई जयपुर गुड़गांव जोधपुर एवं अन्य शहरों से पलायन कर अपने पैतृक घर पहुंच जाएं चाहे उसके लिए उन्हें संक्रमित भी होना पड़े। मगर पलायन कर रहे मजदूर शायद यह भूल गए हैं कि उनके अपने ही उन्हें अपने से ही दूर कर रहे हैं क्योंकि उनसे बीमारी होने का खतरा अधिक सता रहा है।
ताऊ बोले महानगरों से पलायन कर रहे मजदूरों ने सरकार और अपने परिवार के सामने समस्या पैदा कर दी है की क्या निर्णय लिया जाए। अपने ही घर पर आने वाला व्यक्ति अपने ही परिवार के सदस्यों द्वारा दुत्कार दिया जाएगा क्योंकि कोई भी अपने परिवार में अन्य सदस्यों को बीमार होते नहीं देखना चाहता है।
ताऊ के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ती हुई नजर आ रही थी इस पर चौपाल पर बैठे राजेंद्र ने कहा कि क्या परेशानी है ताऊ श्री। ताऊ बोले परेशानी कोई एक नहीं है इस समय देश का प्रत्येक परिवार प्रत्येक सदस्य परेशानी में है मगर इसके बावजूद भी सभी एक दूसरे को हौसला दे रहे हैं। काऊ बोले गाजियाबाद निवासी एक ही परिवार की दो लड़कियां जोधपुर में नौकरी करती हैं जोकि इस समय वहां पर ही फंसी हुई है। कंपनी बंद स्थानीय होटल बंद अब पिजी में रहने वाले अब क्या करें क्योंकि पेट भरने के लिए खाना नहीं और घर में बंद रहना क्योंकि सरकार के आदेश का पालन करना है। यह केस तो एक बानगी मात्र है। ताऊ बोले किसी भी चैनल को खोलकर देखिए समाचार देखने पर निश्चित ही स्वयं को रोना आ जाएगा, पलायन करने वाले मजदूरों की मजबूरी पर।
ताऊ ने कहा लॉक डाउन करना सरकार की मजबूरी थी मगर ऐसे बहुत से पहलू हैं जिनकी तरफ सरकार का ध्यान नहीं गया। सरकार ने महानगरों में दूसरे शहरों से आए मजदूरों की समस्या पर कोई ध्यान नहीं दिया। वही मालवाहक ट्रकों के चालकों के लिए कोई योजना नहीं बनाई क्योंकि जहां पहुंचे वहीं पर पुलिस ने उन्हें रोककर साइड लगवा दिया। सोशल मीडिया पर ऐसे बहुत वीडियो मिल जाएंगे जोकि भूखे ड्राइवर अपनी मदद के लिए गुहार लगा रहे हैं। सरकार को सोचना चाहिए अगर लॉक डाउन ही करना है तो भी ट्रक चालकों की आवश्यकता तो होगी ही क्योंकि खाद्य सामग्री मंडियों तक पहुंचाने के लिए ट्रक चालकों की आवश्यकता होगी क्योंकि लॉक डाउन का मतलब यह नहीं है की घर में चूल्हा नहीं चलेगा। चूल्हा चलाने के लिए खाद्य सामग्रियों का होना बहुत ही आवश्यक है और यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है की प्रत्येक परिवार तक खाद्य सामग्री एवं सब्जियां और फल पहुंचाएं। आप सभी को क्या लगता है की सरकार अपनी की गई घोषणाओं को पूर्ण रूप से पूरा करने में सफल हो पाएगी या नहीं क्योंकि सरकार को यह भी ध्यान रखना होगा कि देश की जनसंख्या सरकार के अनुसार 135 करोड़ है।
ताऊ ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा अभी लॉक डाउन का पांचवा दिन है और केंद्र एवं प्रदेश सरकार कई पहलुओं पर विफल हो चुकी है। क्योंकि सरकार अगर अपने किए गए वादों पर सफल होती तो निश्चित ही महानगरों में रह रहे मजदूर पलायन करने को मजबूर नहीं होते।