आखिर सरकार ने जनता के कंधों पर बोझ डाल ही दिया

आज चौपाल पर ताऊ और युवाओं में बहस हो रही थी और बहस का मुद्दा था सरकार द्वारा पेट्रोल, डीजल और शराब पर लगाया गया विशेष सेस। ताऊ का कहना था की सरकार किसी भी आपदा के बाद सेस लगा सकती है मगर एक दायरे में, उन्होंने कहा सरकार द्वारा लगाया गया सेस अभी तक सबसे अधिक है। इससे पूर्व भी सरकार द्वारा सेस लगाए गए हैं मगर एक या 2%। ताऊ ने कहा की केंद्र सरकार ने  पेट्रोल ₹10 प्रति लीटर और डीजल पर ₹13 प्रति लीटर बढ़ा दिया और दिल्ली सरकार ने शराब की एमआरपी पर 70% सेस लगाकर वसूलना शुरू कर दिया ।अब इसके बाद केंद्र सरकार सीएनजी पीएनजी एवं रसोई गैस की कीमतों पर भी सेस लगाने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा यह सही मायने में सेस नहीं है मगर सेस के नाम पर सरकार ने कीमतों में इजाफा किया है जो कि अब कभी वापस नहीं होगा। 
चौपाल पर मौजूद विग्नेश ने कहा की इस समय कच्चा तेल विश्व बाजार में सबसे कम कीमत पर उपलब्ध है ।उन्होंने कहा रिकॉर्ड के अनुसार इससे सस्ता कच्चा तेल कभी सरकार को मिल नहीं सकता इसके बावजूद भी डीजल और पेट्रोल की कीमतों में इतनी बड़ी बढ़ोतरी करने का मतलब सीधा जनता की जेब से जबरन पैसे को निकालना है ।क्योंकि डीजल और पेट्रोल की बढ़ी कीमतों का असर सीधा जनता पर पड़ता है।
केंद्र सरकार एवं प्रदेश सरकार सेस लगाकर क्या संदेश जनता को देना चाहती हैं।
तालाबंदी के बाद आम आवश्यकताओं की वस्तुओं की कीमतों में बहुत ही जबरदस्त उछाल आया हुआ है ।अब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद निश्चित ही आम आवश्यकतताओं की वस्तुओं की कीमतों में इजाफा होना तय है।


तालाबंदी के बाद देश किस राह पर निकल लिया है ,यह समझ से बाहर है ,यह सवाल ताऊ ने उठाया। चौपाल पर मौजूद विकास ने कहा की सरकारें इस समय जनता से ज्यादा कर पर ध्यान दे रहे हैं इसीलिए शराब ओपन कर आम जनता की जेब से प्रतिदिन करोड़ों रुपए टैक्स के रूप में वसूलने के लिए लालाहित दिखाई दी। सरकारें एक दूसरे पर आरोप लगाकर अपना दामन साफ रखना चाहती हैं। मगर बहुत ही अफसोस की बात की सभी के दामन में दाग है मगर...। आज मौका देख उत्तर प्रदेश सरकार में भी बहती गंगा में हाथ धोते हुए पेट्रोल की कीमतों में इजाफा कर दिया है।