ताऊ चौपाल पर आज फिर निराश दिखाई पड़े इस पर वहां मौजूद रामकमार नहीं पूछा आज की समस्या से परेशान हो। कुछ देर तक चुप्पी साधने के बाद ताऊ ने कहा लॉक डाउन में जो किसानों की बर्बादी हुई है मैं उससे खाता परेशान हूं। हमारे देश के प्रधानमंत्री ने उद्योगों की बात की मजदूरों की बात की मगर किसानों की जो फसल बर्बाद हो चुकी है उसका जिक्र तक नहीं किया। प्रधानमंत्री जी का अपने भाषण में यह अवश्य कहा की हमारे देश में खाद्यान्नों की कोई कमी नहीं है भंडार भरे हुए हैं मगर हमारे प्रधानमंत्री यह भूल गए कि जो फसल की कटाई और बुआई की जाती है तो ही भंडार भरे रह सकते हैं अगर यह संतुलन बिगड़ा तो निश्चित ही देश के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी होगी और हो सकता है आने वाले समय में देश इस समस्या से भी जूझ रहा हो।
हमारे देश में उत्पादित होने वाली वस्तुएं जिनका भंडारण किया जा सकता है मगर आज आवश्यकता होने के कारण लॉक डाउनलोड उनका ब्लैक किया जा रहा है जबकि अगर उनका भंडारण किया जाए तो खराब नहीं होंगे मगर किसान की फसल अगर समय पर खेत से मंडी या फिर स्टोर नहीं पहुंचाई जाए तो निश्चित ही खेत में ही सड़ जाएगी। लोक डाउन में यह समस्या उन्होंने स्वयं देखी है। शहर में रहने वाले किसी व्यक्ति को अगर सिगरेट शराब एवं पान मसाला की आवश्यकता है तो दोगुने या चार गुने रेट देकर खरीदा गया है। किसान की फसल खेत में खड़ी खड़ी खराब हो गई मगर सरकार में किसानों को काटने या हरी सब्जी को मंडी में जाने तक की अनुमति नहीं दी। ताऊ बोले टीवी में एक रिपोर्ट को देखकर उनकी आंखों से आंसू निकल आए क्योंकि एक किसान की लगभग 40 लाख की फसल यानी हरि सब्जियां खेत में ही सड़ गई मगर किसान मंडी तक नहीं ले जा सका। इसके पीछे सरकार के साथ-साथ कई और भी समस्याएं किसानों के समक्ष इस समय मुंह बाए खड़ी है। आज किसानों को मजदूर तक नहीं मिल पा रहे हैं इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है अन्य राज्यों में फसे मजदूर।
यह एक ऐसा समय होता है जब सभी मजदूर लगभग अपने घरों में पहुंच जाते हैं क्योंकि इस समय गेहूं की कटाई और अन्य दलहन एवं सब्जियों की फसल जोरों पर होती है जिसमें मुख्य रूप से आलू और प्याज है। इस लॉक डाउन सबसे अधिक नुकसान अगर किसी का हुआ है तो वह है किसान। ताऊ का कहना है किसान की फसलों पर ही उसका विकास और जीविका निर्भर करती है मगर जिस हाल से इस समय किसान गुजर रहा है निश्चित ही आगामी 2 साल मैं किसानों की हालत खराब ही रहने वाली है। ताऊ बोले मजदूर और किसान दोनों ही एक दूसरे के पूरक है क्योंकि मजदूर को अगर किसान के यहां काम नहीं मिला तो मजदूर की हालत खराब और किसान को मजदूर नहीं मिला तो किसान की फसल खराब। इस बार यही हुआ है दोनों एक दूसरे से बराबर दूरी बनाए। मजबूर को तो सरकार ने ₹500 माह दे दिया मगर किसान अपनी खराब फसल को देखकर केवल आंसू पीकर ही अपनी प्यास बुझा रहा है और पेट खाली है।
सरकार ने लॉक डाउन दो 3 मई तक बढ़ा दिया मगर सरकार की तरफ से केवल आश्वासन मिल रहा है मगर जो सुविधा गरीबों और मजदूरों को उपलब्ध होनी चाहिए वह नहीं हो पा रही है। इसीलिए मजदूर अपने घर वापसी की उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कोई चमत्कार हो जाए और वह अपने घर पहुंच जाएं मगर ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। सोशल मीडिया पर ऐसे सैकड़ों वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें मजदूरों द्वारा आपने व्यथा बयान की है की वह एक कमरे में 20 से 30 लोग रह रहे हैं और उनके पास खाने के लिए राशन नहीं है और पीने के लिए पानी तक उपलब्ध नहीं है। ऐसे हालात में रहने वाले मजदूर आखिर क्या करें उनका सोचना होता है की उन्हें तो मरना ही है चाहे भूख से मरे चाहे वायरस से।
ताऊ बोले घर रहे हम सभी चाहते हैं जहां हैं वही रहे यह भी हम सब मानते हैं मगर प्रतिदिन की आवश्यकताओं को पूरा किए बगैर कैसे रह सकता है कोई भी परिवार या व्यक्ति। सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि कोई भी भूखा ना रहे मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है। बहुत ऐसे परिवार हैं की जो रात में भूखे ही सोते हैं और उम्मीद करते हैं कि सरकार उन तक किसी तरह अपनी सहायता पहुंचा दें तो दो वक्त की रोटी उन्हें नसीब हो जाए। घर में रहना बीमारी से बचना कौन नहीं चाहता मगर कुछ मजबूरियां होती है जो घर से बाहर निकलने पर मजबूर कर देती है।