आज संस्कार भारती "काव्य प्रवाह" संस्था की ओर से संस्कार भारती मेरठ प्रांत साहित्य टोली के सदस्य कवि और कवयित्रियों की ऑनलाइन काव्य गोष्ठी का आयोजन सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ रमा सिंह की अध्यक्षता एवं कवि अटल मुरादाबादी के कुशल संचालन में किया गया। जिसमें ओज के प्रसिद्ध कवि डॉ वागीश दिनकर, डॉ अशोक विद्रोही, डॉ मधु चतुर्वेदी, प्रेम सागर प्रेम और हास्य कवि बाबा कानपुरी ने काव्य पाठ किया।
कोरोना के बदले हुए रूप पर बाबा कानपुरी के दोहे बहुत सराहे गए उन्होंने कहा----
कोरोना गिरगिट सदृश, बदल रहा है रंग।
बिन लक्षण ही संक्रमण, की जारी है जंग।।
अटल मुरादाबादी के दोहे भी बहुत पसंद किए गए!उन्होंने पढ़ा ---
देखि भोर की लालिमा, मन जागा विश्वास।
अब बिल्कुल नजदीक है, कोरोना का नाश।।
डॉ वागीश दिनकर ने पुलिस और डॉक्टरों की भूमिका पर सुंदर रचना पढ़ी---
आज चिकित्सक सैन्य दलों ने सत्संकल्प लिया मन में,
हम सब की रक्षा करने को जीवन वार दिया क्षण में।
प्रेम सागर प्रेम ने मधुर स्वर में गीत सुनाया---- जीवन सुख दुख का गठबंधन, हे सूर्य तुम्हारा अभिनंदन!
डॉ अशोक विद्रोही ने कोरोना से प्रभावित वातावरण का चित्रण इस प्रकार किया---सूनी सूनी सड़के हो गई, निर्जन है चौराहे। कोरोना के रूप में यम ने फैलाई है बाहें।।
डॉ रमा सिंह ने अपने अध्यक्षीय काव्य पाठ में कविता के कई रंग बिखेरे।
उन्होंने कहा---
हां मुझी में गूंजते थे कहकहे, वक्त की लहरों में कैसे सब बहे।
कार्यक्रम के समापन पर संयोजक बाबा कानपुरी ने सभी साहित्यकारों के प्रति अपना आभार व्यक्त किया।